Monday, September 12, 2011

आहुति के मत मतान्तर

आहुतियों के विषय में भी मत मतान्तर हैं। काठक गृह्यसूत्र , जैमिनिय गृह्यसूत्र एवं शांखायन गृह्यसूत्र  ने कहा है कि तीन विभिन्न अष्टकाओं में सिद्ध (पके हुए) शाक, मांस एवं अपूप (पूआ या रोटी) की आहुतियाँ दी जाती हैं। किन्तु पार. गृह्यसूत्र  एवं खादिरगृह्यसूत्र  ने प्रथम अष्टका के लिए अपूपों (पूओं) की  एवं अन्तिम के लिए सिद्ध शाकों की व्यवस्था दी है। खादिरगृह्यसूत्र  से गाय की बलि होती हैं आश्वलायन गृह्यसूत्र , गोभिलगृह्यसूत्र , कौशिक एवं बौधायन गृह्यसूत्र  के मत से इसके कई विकल्प भी हैं–गाय या भेंड़ या बकरे की बलि देना; सुलभ जंगली मांस या मुध-तिल युक्त मांस या गेंडा, हिरन, भैंसा, सूअर, शशक, चित्ती वाले हिरन, रोहित हिरन, कबूतर या तीतर, सारंग एवं अन्य पक्षियों का मांस या किसी बूढ़े लाल बकरे का मांस; मछलियाँ; दूघ में पका हुआ चावल (लपसी के समान), या बिना पके हुए अन्न या फल या मूल, या सोना भी दिया जा सकता है, अथवा गायों या साँड़ों के लिए केवल घास खिलायी जा सकती है। या वेदज्ञ को पानी रखने के लिए घड़े दिये जा सकते हैं, या 'यह मैं अष्टका का सम्पादन करता हूँ' ऐसा कहकर श्राद्धसम्बन्धी मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है। किन्तु अष्टकों के कृत्य को किसी न किसी प्रकार अवश्य करना चाहिए। 
यह ज्ञातव्य है कि यद्यपि उद्धृत वार्तिक एवं काठकगृह्यसूत्र  का कथन है कि 'अष्टका' शब्द उस कृत्य के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें पितर लोग देवताओं (अधिष्ठाताओं) के रूप में पूजित होते हैं, किन्तु अष्टका के देवता के विषय में मत-मतान्तर हैं। आश्वलायन गृह्यसूत्र  में आया है कि मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को तथा नवमी को पितरों के लिए हवि दी जाती है, किन्तु आश्वलायन गृह्यसूत्र  ने अष्टमी के देवता के विषय में आठ विकल्प दिये हैं, यथा–विश्वे-देव (सभी देव), अग्नि, सूर्य, प्रजापति, रात्रि, नक्षत्र, ऋतुएँ, पितर एवं पशु। गोभिल गृह्यसूत्र  ने यह कहकर आरम्भ किया है कि रात्रि अष्टका की देवता है, किन्तु इतना जोड़ दिया है कि देवता के विषय में अन्य मत भी हैं, यथा–अग्नि, पितर, प्रजापति, ऋतु या विश्वे-देव।

1 comment:

  1. Boby Sinson जी

    आपकी वेबसाइट पर हमारी सर्वाधिकार सुरक्षित वेबसाइट
    भारतकोश से कई लेखों को चित्रों सहित ज्यों का त्यों प्रतिलिपि कर लिया गया है।

    नियमानुसार और नैतिकता के आधार पर यदि आप भारतकोश से किसी लेख के कुछ 'उद्धरण' लेते हैं तो उसमें आभार व्यक्त किया जाना
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    लिए दी है न कि आपकी वेबसाइट के लिए।
    यह तो ठीक वैसे ही हुआ जैसे कोई व्यक्ति किसी मंदिर या मस्जिद की ईंटों को अपने घर ले जाकर अपना घर बना ले!

    भारतकोश किसी भी हिन्दी वेबसाइट या ब्लॉग के विकास के पक्ष में है। लेकिन जो आप कर रहे हैं वह नीति विरुद्ध भी है और
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    ये कुछ लेखों के उदाहरण हैं जो भारतकोश से लिए गये हैं।

    कृष्ण जन्माष्टमी, श्राद्ध संस्कार आदि

    कृपया इन लेखों को छोटा कर दें और भारतकोश का आभार सहित लिंक दे दें।
    जैसे कि- 'विस्तार में भारतकोश पर पढ़ें...'
    Bharatdiscovery.org और Brajdiscovery.org के कॉपीराइट लिखे चित्रों को हटा दें।

    कृष्ण जन्माष्टमी, श्राद्ध संस्कार आदि

    शीघ्र उत्तर दीजिएगा

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