श्राद्ध सम्बन्धि साहित्य विशाल है। वैदिक संहिताओं से लेकर आधुनिक टीकाओं
एवं निबन्धों तक में श्राद्ध के विषय में विशद वर्णन प्राप्त होता है।
पुराणों में श्राद्ध के विषय में सहस्रों श्लोक हैं। वैदिक संहिताओं एवं
ब्राह्मण ग्रन्थों, गृह्यसूत्रों एवं धर्मसूत्रों से लेकर आरम्भिक
स्मृतिग्रन्थों यथा मनु एवं याज्ञवल्क्य की स्मृतियों तक, तदनन्तर
प्रतिनिधि पुराण एवं मेधातिथि, विज्ञानेश्वर तथा अपरार्क की टीकाओं द्वारा
उपस्थित विवेचनों से लेकर मध्यकालिक निबन्धों तक का वर्णन है। पौराणिक काल
में कतिपय शाखाओं की ओर संकेत मिलते हैं। स्मृतियों एवं महाभारत
के वचनों तथा सूत्रों, मनु, याज्ञवल्क्य एवं अन्य स्मृतियों की टीकाओं के
अतिरिक्त श्राद्ध सम्बन्धी निबन्धों की संख्या अपार है। इस विषय मे केवल
निम्नलिखित निबन्धों की (काल के अनुसार व्यवस्थित) चर्चा
होगी–श्राद्धकल्पतरु, अनिरुद्ध की हारलता एवं पितृदयिता, स्मृत्यर्थसार,
स्मृतिचन्द्रिका, चतुर्वर्गचिन्तामणि (श्राद्ध प्रकरण), हेमाद्रि ,
रुद्रधर का श्राद्धविवेक, मदनपारिजात, श्राद्धसार (नृसिंहप्रसाद का एक
भाग), गोविन्दानन्द की श्राद्धक्रियाकौमुदी, रघुनन्दन का श्राद्धतत्व,
श्राद्धसौख्य ,
विनायक उर्फ नन्द पण्डित की श्राद्धकल्पलता, निर्णयसिन्धु, नीलकण्ठ का
श्राद्धमयूख, श्राद्धप्रकाश (वीरमित्रोदय का एक भाग), दिवाकर भट्ट की
श्राद्धचन्द्रिका, स्मृतिमुक्ताफल (श्राद्ध पर), धर्मसिन्धु एवं मिताक्षरा
की टीका–बालभट्टी। श्राद्धसम्बन्धी विशद वर्णन उपस्थित करते समय, कहीं-कहीं
आवश्यकतानुसार सामान्य विचार भी उपस्थित किये जायेंगे।
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