ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति मर कर सबसे पहले कौए का जन्म लेता है और ऐसी
मान्यता है कि कौओं को खाना खिलाने से पितरों को खाना मिलता है। इसी कारण
है कि श्राद्ध पक्ष में कौओं का विशेष महत्व है और प्रत्येक श्राद्ध के
दौरान पितरों को खाना खिलाने के तौर पर सबसे पहले कौओं को खाना खिलाया जाता
है। जो व्यक्ति श्राद्ध कर्म कर रहा है वह एक थाली में सारा खाना परोसकर
अपने घर की छत पर जाता है और जोर जोर से कोबस कोबस कहते हुए कौओं को आवाज
देता है। थोडी देर बाद जब कोई कौआ आ जाता है तो उसको वह खाना परोसा जाता
है। पास में पानी से भरा पात्र भी रखा जाता है। जब कौआ घर की छत पर खाना
खाने के लिए आता है तो यह माना जाता है कि जिस पूर्वज का श्राद्ध है वह
प्रसन्न है और खाना खाने आ गया है। कौए की देरी व आकर खाना न खाने पर माना
जाता है कि वह पितर नाराज है और फिर उसको राजी करने के उपाय किए जाते हैं।
इस दौरान हाथ जोड़कर किसी भी ग़लती के लिए माफ़ी माँग ली जाती है और फिर
कौए को खाना खाने के लिए कहा जाता है। जब तक कौआ खाना नहीं खाता व्यक्ति के
मन को प्रसन्नता नहीं मिलती। इस तरह श्राद्ध पक्ष में कौओं की भी पौ बारह
है और काफी मान मनौव्वल का दौर चल रहा है।
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